poetry-shoetry
Tuesday, April 22, 2008
Anhoni
कुछ
अनहोनियाँ
हम नही जानते
और व्यक्त करते रहते
हैं
प्रतिक्रियाएं
कभी
आड़ी-
तिरछी,
कभी आत्ममुग्ध
तो
कभी नुकीली आत्मीये
संदेहों में
बँटे
लोग
हँसते हैं एक-दूसरे पर
इस बात से बेखबर
की अपने ऊपर हँसने की
अनहोनी क्या होती है.
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