सबसे मिलता है
गले-गले घूमता है
अपना सा ही कोई ढूंढता है
हर मोड़ पे ठगा जाता है …
जाने कैसा gypsy दिल है
के…मिलने से बाज नहीं आता है…
पीठ पीछे ठहाके हैं
पर हर हाथ से आँख मिलाता है
भटक-भटक हँसता है
रेत में निशाँ बनता है
जाने कैसा gypsy दिल है
के… ज़ख्म अपने भूल जाता है...
ढीठ से रिश्ते पीठ किये टकराते हैं
उन्हें गर्मजोशी से सीने लगता है
प्यासे-प्यासे रिश्तों में
जेब से जोकर वो, प्याऊ बन जाता है
जाने कैसा gypsy दिल है
के…जुटते-जुटते, टूटता है, टूटते-टूटते, जुट जाता है...
गले-गले घूमता है
अपना सा ही कोई ढूंढता है
हर मोड़ पे ठगा जाता है …
जाने कैसा gypsy दिल है
के…मिलने से बाज नहीं आता है…
पीठ पीछे ठहाके हैं
पर हर हाथ से आँख मिलाता है
भटक-भटक हँसता है
रेत में निशाँ बनता है
जाने कैसा gypsy दिल है
के… ज़ख्म अपने भूल जाता है...
ढीठ से रिश्ते पीठ किये टकराते हैं
उन्हें गर्मजोशी से सीने लगता है
प्यासे-प्यासे रिश्तों में
जेब से जोकर वो, प्याऊ बन जाता है
जाने कैसा gypsy दिल है
के…जुटते-जुटते, टूटता है, टूटते-टूटते, जुट जाता है...
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