१.
ये आँख की पुतली है मेरे दोस्त
मेरी तरह देखोगे तो चुभेगी नहीं
२.
वो मुझे बड़े प्यार से मिलता रहा
और बड़ी शिद्दत से जलता रहा
साली शोहरत भी गज़ब का घी होती है
३.
ज़्यादा से ज़्यादा क्या होगा यार
तुम मुझे मिलोगे और खुद से मुक़र जाओगे
यही ना!
४.
अच्छा नहीं लगता की तुम रात की तरह खामोश रहो
और खाली बोतल दिन की तरह लबर-लबर करती रहे
५.
कुछ तो बात होती है शराब में
लगता हूँ उसके आगे ख़राब मैं
६.
मैं तुम्हें सब में ढूंढता रहा
मगर तुम सब में थोड़े थोड़े मिले
७.
तुम्हें बहोत संजो के रखा है
यहाँ वहां कहीं खो के रखा है
गुस्सा जाने कितना जमा हो गया
अब जाके उन्हें धो के रखा है
रुपेश कश्यप
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