poetry-shoetry
Thursday, December 1, 2011
Sach
सच
सच जो भी हो
अब मान लेने में हर्ज़ ही क्या है
कि हम इंसानी दुनिया के तकनीकी विशेषज्ञ हो गए हैं
भले ही हम नए हैं
लेकिन हम जानते हैं
ये सिर्फ विशेषज्ञों का ही दौर है
जिनकी तकनीक में बोए कोई और
काटे कोई और है.
(C) रुपेश कश्यप
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