Monday, November 28, 2011

Ae Gulabi Lamhe!





वक़्त का तकाज़ा है 


मैं तुमसे हो जाऊं रूबरू 


जान लूं तुमसे तुम्हारा हाल 


कर लूं कुछ जाड़े की धूप-गरम बातें 


समझ लूं कुछ लिहाफ़-नरम बातें 


बाँट लूं  तुमसे  भीगी रुई सा अपना मन 


थाम लूं गरमजोशी से तुम्हरे हाथ अपने ठन्डे हाथों में 


दौड़ कर ले आऊं तुम्हरे लिए गरमागरम 'मूंगफली' 


ऐ 'गुलाबी लम्हे' 


चल आ  


र लें  एक बार फिर से  'टाइम पास' 


(Copyright ) रुपेश कश्यप 

1 comment:

Anonymous said...

Aa chal India Gate chalien:)