poetry-shoetry
Friday, November 7, 2008
Behisaab
आज बेहिसाब लफ्ज हैं
बेहिसाब शब्द
बेहिसाब हर्फ़
बेहिसाब तरीके बातों के
पर जाने क्यों
अब दिल की बातों में मज़ा नहीं आता.
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