Thursday, April 24, 2008

Chitthi

पिता ने लिखी चिट्ठी

उसमें लिखा जीवन में इल्लत, किल्लत और जिल्लत

आते ही रहती हैं

और अंत में लिखा

अभी भी जीत जाते हैं रेस कछुए.



इल्लत-बिमारी

किल्लत-अर्थिक परेशानी

जिल्लत-मान समान पे आंच

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