Monday, May 26, 2008

A sad boy

एक बच्चा उदास है। इसलिए नहीं कि उसके खिलौने टूट गए हैं। इसलिए भी नहीं कि वो बीमार है, इसलिए भी नहीं कि उसके किसी दोस्त ने उससे लड़ाई कि है, इसलिए भी नहीं कि किसी पड़ोसी आंटी ने उसकी शिकायत कि है, इसलिए भी नहीं कि उसके मम्मी या पापा ने से उसे डांटा है, इसलिए भी नहीं कि वो क्लास में तीसरे स्थान पे आया है, इसलिए भी नहीं कि उसे उसकी मनपसंद चीज़ नहीं मिली हैं। एक बच्चा उदास है। इसलिए तो कतई नहीं कि उसके कपड़े पुराने हैं।

वो अपनी कार के पिछ्ली सीट पे बैठा हुआ चुपचाप है, उदास है, गुमसुम है। जबकि वो बिल्कुल ही इसके उलट है। एकदम निहायत ही हँसने-बोलने वाला एक शरारती शरारती बच्चा। मगर आज वो उदास है। और है तो है बस। कार कि पिछ्ली सीट पर बैठा हुआ वो अरेबियन सी के लहरों को देख रहा है। उसकी मम्मी उससे पूछ रही है कि वो चुप क्यों है? कहीं उसे कोई चोट तो नही लगी है! उसके पापा कार चलाते हुए सोच रहे हैं कि बच्चे ऐसे ही होते हैं। अभी मूड नहीं होगा उसका, बस! मगर इन सारी संभावनाओ को झुट्लाते हुए एक बच्चा गुमसुम है।

माँ के बहुत पूछने पर या यों कहें कि कुरेदने पर वो बोल पड़ता है "मम्मी, जब हम हाजी अली से लौट रहे थे तो मैंने देखा की एक भीख मांगने वाले बच्चे कि प्लेट में सिर्फ़ 2 रुपये का सिक्का था और ये मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा।" अब उसके मम्मी और पापा दोनों उदास हैं।





















1 comment:

mads said...

Sad but true. And even worse is that the beggar child is just the tip of the iceberg.